डेस्क- दिल्ली हाईकोर्ट ने सामाजिक महत्व का मुद्दा बताते हुए स्टूडेंट्स के डॉक्यूमेंट्स पर मां का नाम अनिवार्य करने का फैसला दिया था वहीं अब महाराष्ट्र सरकार ने भी सभी सरकारी डॉक्यूमेंट्स पर बच्चे के नाम के बाद माता का नाम, फिर पिता का नाम और सरनेम लिखने का बड़ा फैसला सुनाया है.
महाराष्ट्र में 01 मई 2014 या उसके बाद पैदा हुए बच्चों को अपना पहला नाम, उसके बाद मां का पहला नाम और फिर पिता का पहला नाम और सरनेम बताना होगा. विवाहित महिलाओं के मामले में महिला के नाम के बाद उसके पति का पहला नाम और सरनेम लिखने की व्यवस्था ही जारी रहेगी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) के माध्यम से इसकी सूचना दी है. साथ ही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों ने अपनी माता के नाम के साथ वाली नेम प्लेट की फोटो भी शेयर की.
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कैबिनेट का यह फैसला 01 मई 2024 से लागू किया जाएगा. सरकार ने कहा कि 1 मई या उसके बाद जन्म लेने वालों के स्कूल, परीक्षा प्रमाण पत्र, पे स्लिप और रेवेन्य रेवेन्यू डॉक्यूमेंट के लिए इसी फॉर्मेट में अपना नाम रजिस्टर कराना होगा. इसके अलावा हेल्थ डिपार्टमेंट को केंद्र से बातचीत करने के लिए कहा गया है कि क्या मां का नाम भी जन्म या मृत्यु रजिस्ट्रेशन में शामिल किया जा सकता है.
महिला एवं बाल विकास विभाग ने पहले कहा था कि इस फैसले को माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचान देने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि सरकारी डॉक्यूमेंट में पहले से ही पिता का नाम प्राथमिक तौर पर लिखा जाता रहा है.