रांची- आज मां दुर्गा की विदाई की घड़ी है. दशहरा के दसवें दिन एक ओर बुराई का प्रतीक रावण का दहन होगा तो वहीँ दूसरी ओर शक्ति स्वरूपा माता की विदाई होगी. माता की विदाई से पहले बंगाली समाज में सिंदूर खेला का रिवाज है. रांची के दुर्गा बाड़ी मंदिर में सिंदूर खेला में महिलाओं ने भाग लिया और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर मां दुर्गा से सदा सुहानिग रहने का आशीर्वाद लिया.
विजयादशमी के दिन बांग्ला रीति रिवाज के साथ सिंदूर खेला का आयोजन किया गया. राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों से आई महिलाओं ने एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाकर मां दुर्गा का आशीर्वाद लिया. दुर्गा बाड़ी आई महिलाओं ने कहा कि जिस तरह मां दुर्गा ने सत्य की जीत के लिए महिषासुर का वध किया था. उसी प्रकार महिलाओं ने सिंदूर खेला करके मन से प्रार्थना की है कि हमें भी सत्य के साथ लड़ने की ताकत दें.
कई महिलाओं ने कहा कि बांग्ला रीति रिवाज के साथ ही दुर्गा बाड़ी मंदिर में हर वर्ष सिंदूर खेला के साथ मां को विदाई दी जाती है. उन्होंने कहा कि यह पल काफी भावुक होता है क्योंकि 10 दिनों तक मां की पूजा करने के बाद भक्तों को मां का विदा करना काफी भावुक कर देता है.
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इधर, पटना के बंगाली अखाड़ा में भी बंगाली महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना की और प्रतिमा के पास सिंदूर खेला का आयोजन किया. महिलाओं ने मिलकर मां को खोइचा दिया और मां भगवती के प्रतिमा को विदा किया. सबसे पहले बंगाली महिलाएं मां दुर्गा के प्रतिमा को पान सुपारी स्पर्श करवाया और विधि विधान के अनुसार मां को सिंदूर लगाया . उसके बाद महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला किया और माता के अगले साल आने की कामना की.