डेस्क- 14 जून 2020 का वो दिन जब सिनेमा जगत ने, भारत के हर परिवार ने मानव बन के सबको हसने वाला, एम.एस. धोनी बनके देश के लिए कुछ करने की भावनाएं पैदा करने वाला, सोनचिरैया में डाकू बनकर डराने वाला, केदारनाथ में प्यार सिखाने वाला वो अभिनेता हम सब को अलविदा कह के चला गया. हम बात कर रहे हैं सुशांत सिंह राजपूत की.
सुशांत सिंह की मौत की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है. सुशांत की मौत पर ना जाने कितनी चर्चाएं हुई, ना जाने कितनी अटकले लगाई गई, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर, आत्महत्या तक सब पर बहुत सारी चर्चाएं की गई. हालांकि उनकी मौत का सच आज तक सामने नहीं आया है.
सुशांत को न केवल उनकी अभिनय बल्कि उनकी बातों के लिए भी पसंद किया जाता है, उनकी एक बात जो आजकल की जनरेशन के लिए एक बड़ी सीख है, वह ये है कि “पास्ट के बारे में मैं नहीं सोचता क्योंकि उसमें मेरा कंट्रोल नहीं, फ्यूचर में क्या होगा हमें मालूम नहीं तो अपने आज को बेहतर बनाते हैं”.
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केवल 2 घंटे की नींद लेने वाले सुशांत आज के युवाओं के लिए एक बड़ी मिसाल है, जहां हम किताबों से दूर भागते हैं, वहीं उनके पास एक पर्सनल लाइब्रेरी थी. अपनी दयालुता, हिम्मत, समर्पण, अपने सपने साकार करने के लिए कड़ी मेहनत, उनका हर एक रोल, दिया हुआ हर एक इंटरव्यू, उसमें बोले हुए हर शब्द उनके फैंस के लिए मायने रखते हैं.
1986 में बिहार के पटना में जन्में सुशांत शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी आगे थे, अपने अभिनय के पैशन और सपने के लिए उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग तक छोड़ दी. अपने 7 साल के बड़े पर्दे के सफर में सुशांत ने लाखों फैंस का प्यार कमाया, जिन्होंने उनको आज हम सब के बीच अमर बना दिया है. सुशांत आज हम सब के लिए यह मिसाल हैं कि सपने देखने के लिए खुले आसमान की जरुरत होती है और उनको पूरा करने के लिए मेहनत की.