रांची- रांची जमीन घोटाला मामले में ईडी की चार्जशीट में कई खुलासे हुए हैं. ईडी ने बताया कि पहला समन मिलने के बादे से ही हेमंत सोरेन खुद को बचाने की कोशिश में लग गए थे. बड़गाई अंचल की 8.66 एकड़ जमीन के पीछे कौन-कौन सहभागी बने, इन सबका खुलासा ईडी ने उचित सबूतों और दस्तावेजों के साथ किया है.
चार्जशीट में ईडी ने दावा किया है कि सीएम रहते हुए जब पहली बार हेमंत सोरेन को समन भेजा गया था, तब से ही हेमंत सोरेन ने खुद को इस जमीन से दूर करने की कोशिश शुरू कर दी थी. इस फर्जीवाड़े में सह अभियुक्त राजकुमार पाहन ने उनका साथ दिया. ईडी ने चार्जशीट में गणेश पाहन, कोका पाहन और माखन पाहन के बयान का भी जिक्र किया है. तीनों का नाम जमीन के केवट में दर्ज है.
ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि एजेंसी ने पहली बार 14 अगस्त 2023 को हेमंत सोरेन को समन किया था, जब वह सीएम थे. इस समन के बाद ही 16 अगस्त 2023 को सह अभियुक्त राजकुमार पाहन ने कई लोगों के हस्ताक्षर से रांची डीसी को एक याचिका दी, जिसमें 80 के दशक में हुई जमीन की जमाबंदी को रद्द करने की मांग की गयी, साथ ही बताया गया कि जमीन उनके कब्जे में है.
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रांची जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर सबसे बड़ा खुलासा उनके ही प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने किया है. अभिषेक प्रसाद के बयान का जिक्र ईडी ने अपनी 191 पेज की चार्जशीट में किया है.
आरोप पत्र में बताया गया है कि ईडी ने 18 मार्च 2024 को पीएमएलए 50 के तहत पिंटू का बयान लिया था. इस बयान में पिंटू ने कबूल किया था कि उदय शंकर सीएमओ में कार्यरत था, वह उदय शंकर के जरिए अधिकारियों को निर्देश भेजता था. पिंटू ने बताया है कि हेमंत सोरेन की बड़गाई की 8.86 एकड़ जमीन के भौतिक सत्यापन का आदेश तत्कालीन सीएम के आदेश पर दिया गया था.
हेमंत सोरेन के कहने पर बड़गाई जमीन के अलावा उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की दो अन्य जमीन का भौतिक सत्यापन किया गया. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि उदय शंकर और पिंटू के बीच मोबाइल चैट भी मिली है जिसमें 12 अक्टूबर 2022 को पिंटू ने दो अन्य जमीनों के भौतिक सत्यापन का आदेश दिया था.
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