डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर यानी मतपत्र के ज़रिए चुनाव की पुरानी व्यवस्था बहाल करने से मना कर दिया है. वीवीपैट की सभी पर्चियों को गिनने की मांग भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि पूरी चुनाव व्यवस्था पर सवाल उठा कर लोगों के मन में संदेह पैदा करना गलत है. हालांकि, कोर्ट ने चुनाव में दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों को यह अधिकार दिया है कि वह नतीजों के 7 दिन के भीतर जांच की मांग कर सकते हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था कि भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए यहां बैलेट पेपर से चुनाव व्यवहारिक नहीं. जजों ने यह भी याद दिलाया था कि पुराने समय में चुनाव प्रक्रिया में किस तरह की गड़बड़ियां होती थीं, जो EVM सिस्टम से खत्म हो गई हैं.
- Advertisement -
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)
जजों ने पूरी व्यवस्था पर संदेह जताने को गलत कहा था. अब कोर्ट ने फैसला दिया है कि वह याचिका में रखी गई मांगों को खारिज कर रहा है. हालांकि, कोर्ट ने सुझाव दिया है कि चुनाव आयोग इस बात पर विचार करे कि क्या VVPAT पर्चियों पर बार कोड छापा जा सकता है.
साथ ही कोर्ट ने 2 निर्देश दिए हैं.
- सिंबल लोडिंग यूनिट को भी रिजल्ट के बाद 45 दिन तक सील रखा जाए.
- परिणाम घोषित होते के 7 दिन के भीतर दूसरे या तीसरे नंबर का उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है. ऐसे में इंजीनियरों की टीम किसी 5 माइक्रो कंट्रोलर की मेमोरी की जांच करेगी. इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा. गड़बड़ी साबित हुई तो उम्मीदवार को पैसा वापस मिल जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पहले भी EVM पर संदेह जताया गया. कोर्ट ने उसे विस्तार से सुन कर फैसला दिया. एक बार फिर सुनवाई की गई है. अब यह खत्म होना चाहिए. जब तक EVM के खिलाफ पुख्ता सबूत न हों, यह व्यवस्था बनी रहनी चाहिए. बैलेट पेपर मतदान पर वापस जाने या कोई और व्यवस्था अपनाने का कोई कारण नहीं है. न ही ऐसा करना देश के नागरिकों के हित में होगा.
- Advertisement -
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)