डेस्क- CAA पर इस वक्त देश भर में चर्चा हो रही है. इसका विरोध भी लगातर जारी है. वहीँ इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गईं हैं। इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने जबाव देने के लिए सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया है. हालांकि सरकार की और से चार हफ्ते का समय मांगा गया था.
सुनवाई को दौरान वकील कपिल सिब्बल ने किसी को भी नागरिकता ना देने का गुहार लगाई. सिब्बल ने कहा कि कोर्ट ने 19 अप्रैल को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. इस बीच अगर नागरिकता दी जाती है तो हम दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
सीएए को भारत की संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था. यह कानून व्यापक बहस और विरोध का विषय रहा है. सीएए, 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है.
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यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले उन प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जो अपने संबंधित देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हैं और 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं.