रांची- झारखण्ड में ED और सरकार के बीच जंग जारी है। ED की कार्रवाई लगातार हो रही है। इसक जद में सीएम हेमंत सोरेन भी है। ED सीएम को अभी तक आठ समन भेज चुकी है। कार्रवाई के मद्देनजर हेमंत सरकार ने 9 जनवरी को कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया था कि राज्य सरकार के पदाधिकारी अब राज्य की जांच एजेंसी के अलावा अन्य किसी भी जांच एजेंसी के समन पर सीधे हाजिर नहीं होंगे.
वह इन एजेंसियों को सीधे दस्तावेज या सरकारी अभिलेख भी उपलब्ध नहीं करायेंगे. समन प्राप्त होने पर उन्हें सबसे पहले विभागीय प्रमुख को सूचित करना होगा. विभागीय प्रमुख का दायित्व होगा कि वे बगैर देरी किये मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को सूचित करें. मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग इस पर विधिक परामर्श लेगा. इसके बाद उक्त विषय पर निर्णय लेकर संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया जायेगा।
इसके बाद झारखंड की कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने ईडी से जानकारी मांगी थी कि राज्य के सरकारी अधिकरियों को भेजे गये समन के पीछे के पूरे मामले को स्पष्ट करें. यह बताएं कि जिस अधिकारी को समन जारी हुआ है उनपर क्या आरोप हैं और उनके खिलाफ क्या साक्ष्य हैं. यह भी बताएं कि किस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है.
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ईडी ने वंदना डाडेल को पत्र भेजकर दो टूक कहा है। भेजे पत्र में ईडी ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राज्य के किसी भी अधिकारी से जानकारी मांगने और समन जारी करने का कारण पूछने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है. ईडी अमूमन भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करता है. इसे जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय ने साफ कर दिया है कि किसी भी राज्य सरकार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राज्य के अफसर के खिलाफ जारी समन का कारण पूछने का अधिकार नहीं है. कैबिनेट सचिव वंदना दादेल को ईडी की ओर से बताया गया है कि राज्य सरकार समन की सूचना और कारण नहीं पूछ सकती है.
बता दें कि मनरेगा, अवैध पत्थर खनन और दस्तावेज में हेराफेरी कर जमीन की खरीद बिक्री में हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीनियर आईएएस पूजा सिंघल, रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन समेत कई कारोबारी और जमीन माफिया होटवार जेल में बंद हैं. वहीँ सीएम समेत कई लोगों से पूछताछ होनी है जिसके लिए ईडी की ओर से समन भेजे जा रहे है।