पटना- शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के फरमानों से शिक्षक तो हलकान थे ही अब राजनीतिक स्तर पर भी उनका विरोध होने लगा है. शिक्षक संगठनों ने पहले ही मोर्चा खोल रखा था अब माननीयों ने भी मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में आज केके पाठक को हटाने, और उनके निर्देशों को निरस्त के लिए बीजेपी, महागठबंधन और निर्दलीय विधान पार्षदों ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन में जाकर मिले. सभी ने हस्ताक्षर करके अपनी मांग राज्यपाल के सामने रखी. विधान पार्षदों में जेडीयू, सीपीआई, बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, जनसुराज और निर्दलीय MLC साथ गए हुए थे.
15 सदस्यीय विधान पार्षदों में निर्दलीय समेत तमाम दलों के विधान पार्षद शामिल हुए और केके पाठक के लिए गए फैसले को निरस्त करने और शिक्षा विभाग से उन्हें अविलंब हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन देने राज्यपाल के पास पहुंचे थे.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने कहा कि ”केके पाठक ने हाल में कई फैसले लिए हैं जो संविधान विरोधी है और उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. केके पाठक के तानाशाही फैसले से शिक्षण त्रस्त है और शिक्षा विभाग भी भुगत रहा है.”
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जदयू के एमएलसी वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि ”केके पाठक के कई फैसले नीतिगत नहीं है और उनके फैसलों ने शिक्षा विभाग में उथल-पुथल मचाया हुआ है. उनके फैसले को रद्द करने और विभाग से उन्हें हटाने की मांग को लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे हुए हैं.”
जदयू एमएलसी संजीव कुमार ने कहा कि ”राज्यपाल विश्वविद्यालय के कस्टोडियन होते हैं. हमारे विधान पार्षद साथी संजय कुमार सिंह का पेंशन केके पाठक के आदेश से रोका गया है. शिक्षा विभाग का यह अधिकार क्षेत्र में नहीं आता की किसी प्रोफेसर का वेतन या पेंशन रोके और यह सरासर राज भवन के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप है.
बता दें कि अभी हाल ही में केके पाठक ने शिक्षा अधिकारियों को रविवार को भी काम पर बुलाया है. इसके लिए विभागीय निर्देश भी जारी कर दिया गया है.
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