पटना- गया के पूर्व SSP आदित्य कुमार ने पटना के सिविल कोर्ट (एसीजेएम-1) में शाम चार बजे सरेंडर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित आईपीएस आदित्य कुमार को दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया था। आदित्य कुमार बिहार कैडर के 2011 बैच के IPS हैं.
आदित्य कुमार पर आरोप है कि अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खत्म कराने के लिए आदित्य कुमार ने एक ठग को हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाकर डीजीपी को कॉल कराया था. इस मामले में पिछले साल उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. एक साल तक कोर्ट-कचहरी का खेल चलता रहा. लेकिन पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने आदित्य कुमार को राहत देने से इंकार करते हुए कोर्ट में आत्मसमर्पण करने को कहा था.
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आदित्य कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पूर्व एसएसपी पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं, इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कहा था कि जो तथ्य सामने दिख रहे हैं, उस पर कोर्ट अपनी आंखें नहीं मूंद सकती. आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज मामला न केवल न्यायिक कार्यवाही में पवित्रता बनाए रखने से संबंधित है, बल्कि पूरी व्यवस्था में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिहाज से भी काफी मायने रखता है.
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बता दें कि आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार गया के एसएसपी पद पर तैनात थे. उनके खिलाफ शराब तस्करों से सांठगांठ का केस दर्ज किया गया था. उन पर आरोप लगा कि अपने खिलाफ चल रही कार्रवाई को रद्द कराने के लिए साजिश रची. आदित्य कुमार के दोस्त अभिषेक अग्रवाल ने एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाया, जिसमें पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस की तस्वीर लगाई गई. फिर इसी व्हाट्सएप नंबर से बिहार के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल को कॉल और मैसेज किए गए. फर्जी चीफ जस्टिस ने डीजीपी को कहा कि आदित्य कुमार के खिलाफ चल रहे मामले को बंद कर दिया जाये. इसके बाद डीजीपी ने आदित्य कुमार के खिलाफ चल रहे केस को बंद कर दिया था.