पटना- बिहार में धार्मिक आधार पर स्कूलों में छुट्टी देने के शिक्षा विभाग के आदेश के बाद बवाल मचा हुआ है. विपक्ष तो नीतीश सरकार पर हमलावर है ही अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी मामले में संज्ञान ले लिया है. साल 2024 के लिए स्कूलों की छुट्टी के नए कैलेंडर को लेकर एनसीपीसीआर ने बिहार सरकार को नोटिस भेजा है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि धार्मिक आधार पर स्कूली बच्चों की छुट्टियों में भेद भाव क्यों किया जा रहा है? आयोग ने 7 दिनों में जबाव माँगा है.
बता दें शिक्षा विभाग ने पहली बार उर्दू विद्यालयों के लिए अलग अवकाश कैलेंडर निकला है और सामान्य विद्यालयों के लिए अलग कैलेंडर. उर्दू विद्यालयों के लिए जारी किए गए अवकाश कैलेंडर में मुस्लिम पर्व त्योहार की छुट्टियां बढ़ाई गई हैं, वहीं सामान्य विद्यालयों के अवकाश कैलेंडर में कई हिंदू पार्व त्योहारों की छुट्टियां रद्द की गई है. इसी के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर सभी बच्चों को धार्मिक उत्सव मनाने का सामान अवसर उपलब्ध कराने को कहा है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पत्र के माध्यम से बिहार के मुख्य सचिव को कहा है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार संधि का हस्ताक्षरकर्ता है. इसके तहत बच्चों को दिए गए सहभागिता के अधिकार के संरक्षण की जिम्मेदारी है. इसके अलावा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग पर पोक्सो और जुवेनाइल जस्टिस कानून से जुड़े मामलों की निगरानी के साथ ही मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के उचित क्रियान्वयन की निगरानी की जिम्मेदारी भी है. ऐसे में बिहार सरकार का छुट्टियों में धार्मिक आधार पर भेदभाव अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार संधि के साथ ही शिक्षा के अधिकार कानून का भी उल्लंघन है.
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गौरतलब है कि इसके पहले भी आयोग ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया हुआ है. बिहार के किशनगंज और अन्य सीमावर्ती इलाकों के स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी करने को लेकर पहले नोटिस भेजा गया है.