रांची- नवरात्र के महासप्तमी को गोरखा जवान माँ दुर्गा की बहुत ही अनोखे ढंग से पूजा करते हैं. महासप्तमी के अवसर पर गोरखा जवान माता को डोली में बिठाकर फुलपाती की पूजा करते हैं. उनका मानना है कि पेड़ पौधों की पूजा करने से जंग या फिर किसी मुठभेड़ के दौरान जंगलों में पेड़ पौधे भी उनकी रक्षा करेंगे.
इस दौरान गोरखा जवानों के परिवारों के बीच हर्ष का माहौल देखने को मिला. गोरखा परिवार की महिलाएं नवरात्रि के पर्व को महा उत्सव के तौर पर मनाती हैं. उनका विश्वास है कि अगर वह मां शक्ति, मां दुर्गा की पूजा श्रद्धापूर्वक करें तो उनके ऊपर आने वाली विपदा को मां शक्ति खुद से हर लेती हैं. यही वजह है कि फूलपाती के दिन गोरखा परिवारों का उत्साह चरम पर होता है.
इस अवसर पर नाचते गाते, नौ कन्या रूपी माता का श्रृंगार करती हैं. इसके बाद मां को डोली में बिठाकर पूरे परिसर में यात्रा निकाली जाती है. इस दौरान बैंड बाजे के साथ नौ कन्याएं आगे-आगे नौ विभिन्न रंगों के ध्वज लेकर निकालती हैं. इस यात्रा में डोली को भी शामिल किया जाता है. फुलपाती यात्रा में शामिल गोरखा परिवार पूर्व से चली आ रही है, परंपरा के अनुसार नौ जगहों पर पेड़ की पूजा करते हैं. इस दौरान पूजा अर्चना के साथ-साथ फायरिंग भी की जाती है. यात्रा संपन्न होने के बाद भतुआ की बलि भी दी गई.
- Advertisement -
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)
बता दें कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना पर भी गोरखा जवान माता को फायरिंग कर सलामी देते हैं. जिसके बाद ही पूजा प्रारम्भ की जाती है. जैप-1 में गोरखा जवानों के द्वारा नवरात्रि पूजा के दौरान न कोई प्रतिमा स्थापित की जाती है और न ही कोई मूर्ति बैठाई जाती है. केवल कलश स्थापित कर नौ दिनों तक मां अंबे की स्तुति की जाती है. अमूमन हर जगह प्रतिमा या मूर्ति रख कर पूजा की जाती है. जैप-1 में सप्तमी से लेकर नवमी तक कन्या पूजन किया जाता है. इस दौरान कन्याओं को नौ अलग-अलग डोलियों में बैठाकर पूरे परिसर में घुमाया जाता है.