डेस्क- 18वीं लोकसभा के विशेष सत्र में आज “सेंगोल” पर जोरदार बहस हुई. समाजवादी पार्टी ने सेंगोल को लेकर बड़ी मांग कर दी. सपा सांसद आरके चौधरी ने सेंगोल को हटाकर संविधान रखने की मांग की.
उन्होंने कहा, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल को स्थापित किया है. ‘ सेनगोल ‘ का अर्थ है ‘राज-दंड’ या ‘राजा का डंडा’. राजसी व्यवस्था को समाप्त करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ. क्या देश ‘राजा के डंडे’ से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए.
राजद सांसद मीसा भारती ने भी संसद भवन से सेंगोल को हटाने की मांग की दी. उन्होंने कहा, इसे हटाया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश है. सेंगोल को संग्रहालय में रखा जाना चाहिए, जहां लोग आकर इसे देख सकें.
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बीजेपी ने मीसा भारती और सपा सांसद आरके चौधरी के बयान पर पलटवार किया. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, सेंगोल जब स्थापित हुआ था समाजवादी पार्टी उस वक्त भी सदन में थी, उस वक्त इनके सांसद क्या कर रहे थे? वहीं सपा सांसद आरके चौधरी की टिप्पणी पर केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा, उन्होंने क्या सोचा है कि रोज कुछ ऐसी बात बोलें जिससे हम चर्चा में आ जाएं. इन बातों का कोई अर्थ नहीं है.
दरअसल, संसद के संयुक्त सत्र को जब संबोधित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद भवन पहुंचीं तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वागत किया. इस अवसर पर एक अधिकारी हाथ में सेंगोल लिए हुए था. इसी के बाद यह विवाद बढ़ा.