रांची- झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि कोई पत्नी बिना किसी वैध कारण के पति से अलग रहती है, तो वह भरण-पोषण की राशि की हकदार नहीं है. जस्टिस सुभाष चंद की कोर्ट ने रांची की फैमिली कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अमित कुमार कच्छप नामक शख्स को आदेश दिया गया था कि वह अपनी पत्नी संगीता टोप्पो के भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 15 हजार रुपए दे.
हाईकोर्ट ने यह आदेश जमशेदपुर के रहने वाले अमित कुमार कच्छप की क्रिमिनल रिवीजन पर सुनवाई करते हुए दिया है. दरअसल रांची सिविल कोर्ट की फैमिली कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि अमित कुमार कच्छप अपनी पत्नी संगीता टोप्पो को भरण-पोषण के रूप में 15 हजार रुपये प्रति माह दें. फैमिली कोर्ट के
संगीता टोप्पो ने रांची की फैमिली कोर्ट में अपने पति अमित कुमार कच्छप के खिलाफ दायर केस में आरोप लगाया था कि 2014 में आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी के बाद जब वह ससुराल गई तो उससे कार, फ्रिज और एलईडी टीवी सहित दहेज की मांग शुरू हो गई.
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उसने दावा किया कि पति और उसका परिवार इसके लिए दबाव डालता था. पति छोटी-छोटी बातों पर उसकी उपेक्षा करता था, अक्सर शराब के नशे में उसके साथ दुर्व्यवहार करता था. उसने अपने पति पर एक महिला के साथ विवाहेतर संबंध रखने का आरोप भी लगाया. उसने भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 50 हजार रुपए का दावा ठोंका था.
आदेश के मुताबिक, अमित कच्छप को 30 अक्टूबर 2017 से प्रति माह 15,000 रुपये अपनी पत्नी को देना था. इस आदेश के खिलाफ अमित ने हाईकोर्ट में रिवीजन दायर की थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसकी पत्नी ने उसका घर छोड़ दिया. जिसके बाद न्यायाधीश जस्टिस सुभाष चांद की कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पत्नी का अपने पति से अलग होने में उचित औचित्य का अभाव था.
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