पटना- नीतीश सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले आंकड़े जारी करने पर सियासी भूचाल आ गया है. लगातार इस पर राजनीति हो रही है वहीँ, अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है. देश के सबसे बड़ी अदालत में मंगलवार को एक याचिका दायर की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा वह अभी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेगा। 6 अक्टूबर को मामला सुनवाई के लिए लगा है, उसी समय दलील सुनेंगे। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि बिहार सरकार ने पहले जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक न करने की बात कही थी।
इधर, जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार 3 अक्टूबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक CM सचिवालय में हो रही है। इसमें सभी दलों के नेताओं को जाति आधारित गणना के आंकड़ों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ चर्चा भी की जा रही है। इससे पहले गणना जारी होने के बाद मुख्यमंत्री ने बताया था कि 9 पार्टियों की राय से जाति आधारित गणना का काम हुआ है। सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सारी पार्टियों के सामने सारी चीजें रखी जाएंगी।
बता दें कि बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी। बिहार सरकार के जाति आधारित गणना पर पटना हाईकोर्ट ने रोक भी लगा दी थी। हालांकि, एक अगस्त को कोर्ट ने ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए बिहार सरकार के जाति आधारित गणना करने के निर्णय को सही ठहराया था।
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