डेस्क- नवरात्र के अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, मां महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां की आराधना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
अष्टमी तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन अनेक भक्त कन्या पूजन और हवन का आयोजन करते हैं. मान्यता है कि आज के दिन ही मां महागौरी ने चंड-मुंड राक्षस का संहार किया था।
एक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
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महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं- ‘सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।’