डेस्क- सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में मुफ्त ऑनलाइन पॉर्नोग्राफी मटेरियल पर प्रतिबंध लगाने और यौन अपराधों के लिए दोषी व्यक्तियों को नपुंसक बनाने सहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए देशभर में दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.
याचिका में अदालत से बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा के रूप में रासायनिक तरीके से दोषियों को नपुंसक बनाने की मांग और महिलाओं के खिलाफ ऐसे भयानक अपराधों से जुड़े मामलों में जमानत नहीं देने के नियम को लागू करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया और कहा, ‘कुछ मुद्दे बिल्कुल नए हैं. हम दृढ़ता से उनकी सराहना करते हैं.
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लेकिन आप जिन निर्देशों की मांग कर रहे हैं उनमें से कुछ बर्बरतापूर्ण भी हैं. आप सड़कों पर, समाज में आम महिलाओं के लिए राहत मांग रहे हैं, जो असुरक्षित हैं और जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.’
बेंच ने कहा, ‘आपने जो मांग की हैं उनमें से एक सार्वजनिक परिवहन में सामाजिक व्यवहार के लिए दिशानिर्देश जारी करना है, यह एक बहुत ही नया विचार है. यह बेहद महत्वपूर्ण है. इस पर पीठ ने कहा, ‘हमें इस बात की जांच करनी होगी कि हम दंडात्मक कानून के उद्देश्य को हासिल करने में कहां चूक कर रहे हैं.’