डेस्क- अयोध्या के राम मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि-विधान से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को संपन्न किया। इस कार्यक्रम पर विदेशी मीडिया क्या कह रही है आइए जानते हैं-
- अमेरिका के ब्रॉडकास्टर एनबीसी न्यूज ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ‘धार्मिक तनाव’ का प्रतीक बन गया है. अयोध्या में बन रहा मंदिर राम का मंदिर है जो प्रमुख हिंदू देवता हैं. यह मंदिर 30 लाख आबादी वाले शहर अयोध्या की कायापलट कर उसे एक पर्यटक स्थल बनाने में अहम भूमिका बनाएगा.
- अमेरिकी एनजीओ हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुनीता विश्वनाथ के हवाले से अमेरिकी ब्रॉडकास्टर ने लिखा कि उद्घाटन समारोह एक ‘चुनावी हथकंडा’ है और धर्म के नाम पर ऐसी चीजें नहीं की जानी चाहिए. सुनीता विश्वनाथ के हवाले से अमेरिकी अखबार ने लिखा, ‘मोदी कोई पुजारी नहीं हैं इसलिए राजनीतिक फायदे के लिए प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान खुद करना अनैतिक और हर तरह से गलत है.’
- यूएई के अखबार गल्फ न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट को शीर्षक दिया है- नरेंद्र मोदी का अयोध्या के हिंदू मंदिर का उद्घाटन करना भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
- लंदन स्थित समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर उद्घाटन को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए भारतीयों से आग्रह किया है कि वो सोमवार को अपने घरों और पास के मंदिरों में दीये जलाकर दीवाली मनाएं. राजनीतिक टिप्पणीकार पृथ्वी दत्ता चंद्रा शोभी के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा, ‘मंदिर का उद्घाटन किसी धार्मिक उत्सव से ज्यादा आम चुनावों के प्रचार की शुरुआत लग रहा है. ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री एक राजा की भूमिका में हैं जो एक बड़ा धार्मिक अनुष्ठान कर रहा है.’
- रॉयटर्स ने लिखा कि राम मंदिर के उद्घाटन समारोह ने भारत में राजनीतिक विवाद भी पैदा कर दिया है क्योंकि भारत के सभी बड़े विपक्षी दलों जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का न्योता अस्वीकार कर दिया. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उद्घाटन समारोह को राजनीतिक, मोदी इवेंट बना दिया गया है.
- ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने लिखा कि रिपोर्ट में लिखा है कि, ‘कुछ बड़े धार्मिक संतों ने कहा है कि चूंकि मंदिर अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए वहां इस तरह के अनुष्ठान करना हिंदू धर्म के खिलाफ है. कई विपक्षी नेताओं ने भी इससे दूर रहने का फैसला किया है.’
- रूस के अखबार रशिया टुडे (RT) ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि अयोध्या में राम मंदिर के बनने से शहर की कायापलट हो गई है. रिपोर्ट में लिखा गया, ‘अयोध्या, जिसे हिंदू भगवान का जन्मस्थान माना जाता है, यहां अब बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम आगे बढ़ रहा है और जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं.
- नेपाल के प्रमुख अखबार ‘द काठमांडू पोस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि मंदिर के उद्घाटन में भगवान राम से भी अधिक जो व्यक्ति लाइमलाइट बटोर रहा है, वो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के प्रधानमंत्री हैं. अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत धर्मनिरपेक्षता के अपने सिद्धांत से बहुत दूर हो चुका है और अयोध्या में भारत की धर्मनिरपेक्षता मिट्टी में मिल गई है.
- भारत की राजनीतिक टिप्पणीकार इंसिया वाहन्वति के लिखे लेख में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्ष भारत के किसी प्रधानमंत्री का मंदिर का उद्घाटन करना अनुचित है. लेख में कहा गया, ‘बाबरी मंदिर का विध्वंस आज भी मुसलमानों के लिए दुखदायी है. विध्वंस के बाद हुए दंगों में जो लोग मारे गए, हममें से कई लोगों को आज भी वो याद हैं. राजनीतिक वादे किए गए कि मस्जिद फिर से बनाया जाएगा लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं.’