डेस्क – कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के सचिव ए शंकर और कोषाध्यक्ष ई जयराम ने 4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए. उन्होंने शुक्रवार देर रात संघ के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान में, शंकर और जयराम ने कहा कि वे दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए ‘नैतिक जिम्मेदारी’ ले रहे हैं, भले ही उनका मानना है कि उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी सीमित थी.
बयान में कहा गया है, ‘पिछले दो दिनों में हुई अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण, और नैतिक जिम्मेदारी लेने में हमारी भूमिका बहुत सीमित थी, हम यह बताना चाहते हैं कि कल रात हमने कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष को दिनांक 06.06.2025 को लिखे पत्र के माध्यम से कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के सचिव और कोषाध्यक्ष के रूप में अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया’.
- Advertisement -
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)
बता दें आरसीबी और डीएनए एंटरटेनमेंट के 4 अधिकारियों के साथ दोनों का नाम कब्बन पार्क पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज किया गया है, जिसमें आरोपियों की ओर से उदासीनता और लापरवाही को उजागर किया गया है, जिसके कारण भगदड़ मची.
इस बीच कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में एक और एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें आरसीबी, केएससीए अध्यक्ष रघुराम भट और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट का नाम शामिल है.
बेंगलुरू की एक सत्र अदालत ने शुक्रवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के अधिकारी निखिल सोसाले सहित 4 लोगों को भगदड़ के सिलसिले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
- Advertisement -
विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)
अन्य 3 लोग इवेंट मैनेजमेंट फर्म से हैं. कब्बन पार्क पुलिस और केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने शुक्रवार को तड़के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से संयुक्त रूप से उन्हें गिरफ्तार किया.
अध्यक्ष रघु राम भट, शंकर और जयराम सहित क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से अंतरिम राहत प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की. केएससीए के पदाधिकारियों ने स्टेडियम में भगदड़ को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया.
अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में पुलिस को अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया. उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 9 जून को तय की.