डेस्क- सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमे महिलाओं के लिए करवाचौथ का व्रत अनिवार्य करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने यह याचिका आई थी जिसमें मांग की गई थी कि करवाचौथ का व्रत सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य किया जाए। याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार से आग्रह किया गया था कि इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को सख्ती से लागू कराने के लिए आदेश जारी किया जाए।
इस पिटिशन में यह भी दावा किया गया था कि इस व्रत को अनिवार्य करने से महिलाओं के स्वास्थ्य और समाज में पारिवारिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी, लेकिन बेंच ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है।
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कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से “मोटिवेटेड पिटीशन” है और ऐसी याचिकाएं अक्सर किसी खास मुद्दे या समस्या के बारे में प्रेरित करने के लिए लगाई जाती हैं। कोर्ट ने इसे पर्दे के पीछे से दायर की जाने वाली याचिका बताया है, ताकि उन्हें सार्वजनिक रूप से सामने न लाया जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं समाज के किसी भी भले के लिए नहीं हैं और न ही इन्हें गंभीरता से लिया जा सकता है। इससे पहले, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज करते हुए पिटीशनर पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
हाईकोर्ट ने पंचकूला के नरेंद्र मल्होत्रा को चेतावनी भी दी थी कि यदि वे भविष्य में इस तरह की याचिका फिर से दायर करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना बढ़ा दिया जाएगा।
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