पटना- देश-विदेश में लव गुरु के नाम से मशहूर मटुकनाथ को 71 वर्ष की आयु में एक बार फिर साथी की तलाश है. प्रेमिका के अलग होने के बाद एकाकी जीवन जी रहे मटुकनाथ ने इसके लिए फेसबुक पर पोस्ट किया है.
फेसबुक पर उन्होंने लिखा कि आवश्यकता…एक पढ़े-लिखे, समझदार इकहत्तर वर्षीय बूढ़े किसान को पढ़ी-लिखी, समझदार 50-60 के बीच की बुढ़िया चाहिए। बहुत पसंद आ जाने पर उमर में ढील दी जायेगी। शर्त एक ही है कि वासना रहित प्यार की लेन-देन में सक्षम हो। प्यार, पुस्तक और यात्रा में दिलचस्पी हो। पर निंदा से दूर रहे। जब भी किसी की चर्चा करे तो उसके गुणों की है।
सादा और स्वादिष्ट भोजन बनाने में निपुण हो। पुरुषों से सहयोग लेने की कला में पटु हो। ध्यान में दिलचस्पी हो तो कहना ही क्या ! हंसमुख हो। निरर्थक बातें न करती हो। धन -लोभी न हो। सज्जनों के प्रति प्रेम और दुर्जनों के प्रति क्रोध से भरी हो। बूढ़े ने बुढ़िया से इतने गुणों की अपेक्षा इसलिए की है, क्योंकि ये गुण उसमें भी विद्यमान हैं।
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जानिए मटुकनाथ को
एक समय में मटुकथनाथ और उनकी प्रेमिका जूली बिहार के युवाओं के लिए प्रेम के प्रतीक थे. यह कहानी साल 2004 से शुरू होती है. पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मटुकनाथ ने एक कैंप लगाया था जिसमें पटना यूनिवर्सिटी की ही स्टूडेंट जूली भी पहुंची थी.
इसी दौरान दोनों की बातचीत शुरू हुई. दोनों ने एक दूसरे का नंबर शेयर किया. बातचीत का सिलसिल प्यार में बदला और फिर दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे. मटूकनाथ और जूली की चर्चा मीडिया में खूब होती थी। दोनों के इस रिश्तों को लेकर मटूकनाथ की पत्नी अक्सर नाराज रहती थी। वो इसका विरोध भी किया करती थी लेकिन लव-गुरु जुली का साथ नहीं छोड़ना चाहते थे। बाद में दोनों की शादी हो गई.
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मटुकनाथ ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि एक दिन जूली का फोन आया और उसने कहा कि वो मुझे पसंद करती हैं और मुझसे शादी करना चाहती है. हालांकि, इसके बाद मटुकनाथ ने जूली को समझाया कि यह संभव नहीं है. मटुकनाथ ने जूली को बताया था कि वह शादीशुदा हैं.
लेकिन धीरे-धीरे मटुकनाथ को भी जूली से प्यार हो गया. साल 2004 में शुरू हुई ये प्रेम कहानी दो साल तक ठीक चली. इसके बाद 15 जुलाई, 2006 को स्टूडेंट से अफेयर के बाद मटुकनाथ को हिंदी डिपार्टमेंट के रीडर पद से सस्पेंड कर दिया था.
दोनों के रिश्ते की चर्चा देश और विदेशों में हुआ करती थी। समय बीतने के साथ दोनों के रिश्तों में अचानक दरार आ गई और मटुकनाथ का साथ छोड़कर जूली चली गयी।
वेस्टइंडीज में कोरोना के वक्त जूली की तबीयत ज्यादा खराब हो गयी थी तब मटुकनाथ ने मदद के लिए सामने आए थे। उसके बाद जूली गोवा चली गयी जहां आध्यात्मिक जीवन व्यतीत कर रही है अब वो इस्कॉन मंदिर की साधना कर रही है
वही मटुकनाथ अपने गांव नवगछिया में अकेले रह रहे हैं। स्कूल चलाकर बच्चों को पढ़ा रहे है। जूली के छोड़कर जाने के बाद मटुकनाथ अकेलापन की जिन्दगी जी रही हैं। दोनों की प्रेम कहानी ने शुरु-शिष्य की परम्परा के साथ उम्र का बंधन भी तोड़ दिया।
मटुकनाथ ने कहा था कि प्यार जाति धर्म और उम्र के बंधन में नहीं बंधता है। उनकी और जूली की लव स्टोरी भी 2006 में ऐसे ही परवान चढ़ी थी, लेकिन 2014 में प्यार ने दम तोड़ दिया।