रांची- झारखंड में इंडिया गठबंधन शानदार जीत की ओर है. यह कहना जल्दबाजी नहीं होगी कि यहां इंडिया गठबंधन की शानदार जीत हो रही है. इसके अलावा यहां हेमंत सोरेन इतिहास रचते नजर आ रहे हैं. यह पहली बार झारखण्ड में होगा जब कोई सरकार रिपीट होगी.
यहां की जीत के लिए हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को ही अगुवा माना जा रहा है. इन दोनों ने ही पूरे चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने कंधों पर उठा रखा थी. हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने मिलकर 200 से अधिक सभाएं की.
इन्होंने झामुमो उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस और राजद उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार किया. इन दोनों ने लगभग सभी 81 विधानसभा सीटों पर सभा किया और ये बताने में कामयाब रहे कि बीजेपी ने हेमंत को परेशान किया है और झूठे केस में जेल भेजा है.
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झारखंड चुनावों से पहले हेमंत सोरेन ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले हेमंत सोरेन ने अपने सीएम पद से इस्तीफा दिया और चंपाई सोरेन को सीएम बनाया गया.
हेमंत कि गिरफ्तारी के बाद झामुमो ने इसे मुद्दा बनाया और लोगों को ये मैसेज देने का प्रयास किया कि एक आदिवासी को सीएम को प्रताड़ित किया जा रहा है. झामुमो विक्टिम कार्ड खेलती रही, जिसने कहीं ना कहीं वोटरों को प्रभावित किया.
इसके अलावा हेमंत के जेल जाने से उनके खिलाफ लोगों में जो एंटइनकमबेंसी था वह भी कम हो गया और सहानुभूति का फायदा हेमंत सोरेन को हुआ. हेमंत ने अपने पोस्टरों में भी अपने हाथ में जेल का लगा स्टैंप दिखाया था.
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हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन पार्टी में एक्टिव हुईं. वे पार्टी के लोगों से मिलने लगीं, सभा करने लगी. इसके बाद उन्हें गांडेय के उपचुनाव में उतारा गया जहां से उन्होंने जीत हासिल की. सिर्फ पांच महीने बाद ही विधानसभा चुनाव हुए इसमें अकेले कल्पना ने 100 से ज्यादा सभाएं की.
लोगों को इनके बोलने का अंदाज, आम लोगों से मिलने का तरीका और संवाद पसंद आया. कल्पना से सभाओं में भारी भीड़ दिखती थी. कल्पना ने महिला वोटरों को टारगेट किया और उनसे लगातार मिलती रहीं और इसमें कल्पना काफी हद तक कामयाब भी रहीं.