दिल्ली- दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई है. सज्जन कुमार पर सिख नागरिक जसवंत सिंह और उनके बेटे को जिंदा जलाने का आरोप था.
अदालत ने 12 फरवरी को सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था. इस मामले को लेकर शुरुआत में पंजाबी बाग थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में जस्टिस जी.पी. माथुर कमेटी की सिफारिश पर गठित विशेष जांच दल ने आरोप पत्र दाखिल किया. समिति ने 114 मामलों को फिर से खोलने की सिफारिश की थी, जिनमें यह मामला भी शामिल था.
अदालत ने 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148 और 149 के तहत दंडनीय अपराधों के साथ-साथ धारा 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के साथ धारा 149 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप तय किए.
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दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिजनों ने कोर्ट से केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी में मानते हुए दोषी के खिलाफ फांसी की सजा मांगी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फैसले में न्यायाधीश ने लिखा कि मृत्युदंड इसलिए नहीं दिया गया है क्योंकि, सज्जन कुमार 80 साल के हो चुके हैं. वो कई बीमारियों से भी ग्रस्त हैं. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए भी उन्हें सहारे की जरूरत होती है. ऐसे में कोर्ट ने अधिकतम सजा के तौर पर कारावास कारावास की सजा सुनाई है.
जज ने अपने फैसले में लिखा है कि हमारी और सरकार की मांग थी कि सज्जन कुमार को फांसी की सजा सुनाई जाए, लेकिन वह नहीं दी गई क्योंकि उनकी उम्र 80 साल है. वे बीमार हैं और खुद को संभाल भी नहीं सकते हैं. यह कानून है कि 80 साल के ऊपर और बीमार व्यक्ति को फांसी की सजा नहीं सुनाई जाती.”