डेस्क- सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (8 नवंबर) को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला सुनाते हुए कहा कि AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा. यह निर्णय 4-3 के बहुमत से किया गया, जिसमें 4 जजों ने सहमति जताई, जबकि 3 जजों ने असहमति व्यक्त की.
इस मामले में सीजेआई और जस्टिस पारदीवाला का फैसला एकमत था, जबकि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का निर्णय अलग रहा.
सीजेआई ने अपने फैसले में कहा कि अल्पसंख्यक दर्जा मानने के मानदंड क्या होने चाहिए— यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अल्पसंख्यक चरित्र का उल्लंघन न हो. साथ ही, शैक्षणिक संस्थान को रेगुलेट किया जा सकता है और धार्मिक समुदायों को संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार है.
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बता दें कि सर सैयद अहमद खान ने 1875 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना (अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज) के रूप में की थी. इस कॉलेज का उद्देश्य मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान के लिए एक केंद्र स्थापित करना था. साल 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला, जिसके बाद इसका नाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पड़ा.