टिड्डी दल के हमलें की आशंका को लेकर उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी नैन्सी सहाय ने कृषि विभाग व कृषि पदाधिकारी को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए पूर्ण रूप से एक्टिव रहने का निर्देश दिया है। इसके अलावे उन्होंने इसके बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लगातार निगरानी करने का निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिया है। साथ हीं कृषि वैज्ञानिक केन्द्र, सुजानी के वैज्ञानिकों व अधिकारियों को आपसी समन्वय स्थापित करते हुए इससे निपटने को लेेकर आवश्यक व उचित दिशा-निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि क्षेत्र में टिड्डी दल कभी भी प्रवेश कर सकता है. ऐसे में फसलों की सुरक्षा को लेकर एहतियात बरतने की जरूरत है. उन्होंने फसलों को टिड्डी के प्रभाव से बचाने के लिए स्प्रे और कीटनाशक दवाओं का पर्याप्त मात्रा में छिड़काव कराने का निर्देश दिया है. किसानों को भी अपनी फसल के बचाव को लेकर जागरूक करने का कार्य शुरू कर दिया गया है. टिड्डी द्वारा पौधों के हरे हिस्से व उसमें लगे फल, सब्जी व अन्य भाग को खाकर फसल को बर्बाद कर दिया जाता है. इससे किसानों की फसलों को काफी क्षति होने की आशंका है. उपयुक्त नैंसी सहाय ने किसानों से एक साथ इकट्ठा होकर टीन के डिब्बे या थाली बजाने, मिट्टी वाले क्षेत्रों में खेतों में जलभराव अथवा धुंआ करने, मैलाथियान, फिप्रोनिल, इमिडा क्लोरपीड, क्यूनालफास या क्लोरपाइरीफास में से किसी एक दवा का विशेषज्ञों से जानकारी लेकर छिड़काव कराने की अपील की है. गौरतलब है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा में कई स्थानों पर टिड्डी का प्रकोप हुआ है। इसके देखते हुए राज्य को अलर्ट किया गया है. बता दे कि पाकिस्तान से बेमौसम आ रहे टिड्डी दलों ने भारत के कई हिस्सों में कहर बरपाया है. रेतीली मिट्टी और नम बालू में अंडे देने वाले टिड्डी दल यूं तो जून से नवंबर तक सक्रिय होते थे लेकिन इस बार बेमौसम बारिश के कारण उन्होंने फरवरी, मार्च और अप्रैल में भी कुनबा बढ़ाया है।
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