सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों की बदहाली पर लिया स्वतः संज्ञान, केन्द्र और सभी राज्यों को गुरूवार तक जवाब देने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में जगह जगह फँसे प्रवासी मज़दूरों की बदहाली पर गहरी चिंता जताते हुए स्वतः संज्ञान लिया है. साथ ही केन्द्र सरकार व सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इस पर गुरूवार तक जवाब देने का आदेश दिया है. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने मीडिया में आ रही खबरों और मज़दूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट को लगातार मिल रही चिट्ठियों के आधार पर मामले का संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने घरों को वापस पहुँचने के लिए देश की सड़कों पर पैदल चल रहे मज़दूरों को मदद की ज़रूरत है. केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के इंतज़ाम नाकाफी हैं, जिसके लिए केन्द्र सरकार और सभी राज्यों की सरकारों को जवाब देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ऐसे मजदूरों और उनके परिवार के लोगों को उनके घर तक पहुँचाने तक मुफ्त यात्रा, आश्रय और भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात को सँभालने के लिए एक समन्वित और केंद्रित कार्रवाई आवश्यक है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट गुरूवार को सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद से ही मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गयी है. रोजगार छीन जाने के बाद घर वापस जाने के सिवा इनके पास कोई विकल्प नहीं है. लेकिन कोई साधन न होने के कारण इन्हे मीलों पैदल चलकर जाने की मज़बूरी है. महिला और बच्चे भी मीलों का सफर भूखे प्यासे तय कर रहे हैं. इन दुश्वारियों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है. इसके बाद ट्रेन चलने की कवायद शुरू तो की गयी पर परेशानियां कम नहीं हुयी. लिहाज़ा लगातार ऐसी स्थिति बने रहने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है.
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