लॉकडाउन में शिक्षकों की ड्यूटी को लेकर शिक्षक और शिक्षा विभाग में तनातनी देखी जा रही है. लगभग 70 हजार शिक्षकों की ड्यूटी राशन दुकान की निगरानी के लिए लगाया गया है. शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन झारखंड सरकार ने यह यह फरमान जारी कर दिया है कि वह दुकानों की निगरानी के लिए ड्यूटी पर लगाए शिक्षकों को नहीं हटाएगी. इस काम में करीब 70 हजार शिक्षकों को तैनात किया गया है. शिक्षकों ने शिक्षा विभाग और खाद्य आपूर्ति विभाग को तीन दिन का समय दिया है. इसमें कहा गया है कि 30 मई तक अगर उन्हें काम से नहीं हटाया जाता है तो वे कार्य बहिष्कार करेंगे. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने बताया कि अप्रैल और मई का राशन बांटने में शिक्षकों ने पूरा सहयोग किया, लेकिन अब राशन कार्ड की जांच करायी जा रही है जबकि शिक्षक इसमें प्रशिक्षित ही नहीं हैं. इस तरह शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि यह विभाग का काम है जिसे उन्हें खुद करना चाहिए. तीन दिन का समय दिया जा चुका है, अगर फिर भी काम में लगाया जाता है, तो सभी कार्य बहिष्कार करेंगे. यहां शिक्षकों को क्वारंटाइन सेंटर से लेकर एयरपोर्ट, चेकनाका, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, राशन दुकानों में लगाया जा रहा है. शिक्षकों की नियुक्ति पठन-पाठन के लिए हुआ है. झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि शिक्षकों को इस आपातकालीन स्थिति में दुकानों में ड्यूटी करनी होगी और समय पर अपना काम भी पूरा करना होगा. शिक्षा मंत्री ने खाद्य आपूर्ति मंत्री को पत्र लिख शिक्षकों को सिर्फ शैक्षणिक कार्य में ही लगाने का आग्रह किया था, लेकिन विभाग ने शिक्षकों को हटाने से इंकार कर दिया है. खाद्य विभाग का कहना है कि इन शिक्षकों को ड्यूटी करनी होगी. अभी स्कूल भी बंद हैं। जो राशन लेने से वंचित हैं और जिनके नाम से दो-तीन राशन कार्ड हैं, उन्हें सत्यापित करने का काम शिक्षकों को करना है. हर शिक्षक को रोज करीब दस से 15 राशन कार्ड जांच के लिए मिल रहा है. इसमें कोई अतिरिक्त बोझ नहीं है.
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