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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का हाल , मजदूर परेशान , 36 घंटे का सफर हो रहा 70 घंटे में तय

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कोरोना संकट और मजदूर , ऐसा लगता है कि कोरोना काल सिर्फ मजदूरों के लिए ही मुसीबत लाया है. एक से बढ़कर एक दुश्वारियां. भारत की राजनीति से सारे मुद्दे गायब हो गए। अब राजनीति होगी तो सिर्फ मजदूरों पर. सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की , मसीहा बनने का न सिर्फ दावा कर रहे हैं बल्कि अपनी पीठ भी थपथपा रहे हैं। पर ये मजदूर , वैसे ही भूखे प्यासे धक्के खा रहे हैं। कभी बसों की राजनीति तो कहीं ट्रेनों का खेल. आलम ये की आम दिनों में अगर घंटे भर भी ट्रैन लेट हो जाये तो कोहराम मच जाता है. पर कोरोना काल में तो श्रमिक स्पेशल ट्रैन है, चाहे जब पहुंचे। कोई माननीय तो सफर कर नहीं रहे कि सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हों. अब अगर ट्रेने रास्ता तक भटक रही हैं तो कोई क्या करे , मजदूर ही तो हैं पहुंच ही जायेंगे। और बदकिस्मती से कोई हादसा हो गया तो जाँच के लिए कमिटी तो बैठ ही जाएगी। दिल्ली से बिहार के मोतिहारी जा रही ट्रेन चार दिन में समस्तीपुर पहुंची, जबकि यात्रा महज 30 घंटे की है. मजदूरों का कहना है कि उन्हें मोतिहारी का टिकट दिया गया है और ट्रेन पिछले 4 दिनों से उन्हे घुमा- घुमा कर ले जा रही है. लोगों का कहना है कि मुसीबत के वक्त वो घर लौट रहे हैं पर अब ये सफर ही मुसीबत बन गई है. चार दिनों में समस्तीपुर पहुंची ट्रेन में महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गया तो उसे ट्रेन से उतारा गया. आलम ये था कि महिला ने बिना किसी मेडिकल सुविधा के एक बच्ची को प्लेटफॉर्म पर ही जन्म दिया. समस्तीपुर पहुंची ट्रेन के यात्री बताते है कि उसने पुणे में 22 मई को ट्रेन पकड़ी थी और छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल की सैर कराते हुए ट्रेन 25 मई को दोपहर में समस्तीपुर पहुंची. इसी तरह पुणे से खुली ट्रेन पूरा इंडिया घुमाते हुए 70 घंटे बाद ट्रेन समस्तीपुर पहुंची. जबकि यात्रा में महज 36 घंटे लगते हैं. एक अन्य यात्री ने बताया कि जिस स्टेशन पर ट्रेन रूकती थी तो करीब 2-3 घंटे खड़ी ही रहती थी. इस बीच न तो उन्हें खाना मिलता था और न ही पानी. इस प्रचंड गर्मी में परेशान यात्री कई जगहों पर आक्रोशित होकर तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दे चुके हैं. रविवार काे तमिलनाडु से धनबाद के लिए चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन-06142 अपना रास्ता भटक गई और हटिया के बजाय चक्रधरपुर के रास्ते चल पड़ी। रविवार की सुबह ट्रेन राउरकेला रेलवे स्टेशन पहुंची, जबकि उसे हटिया सुबह 8:30 बजे पहुंच जाना था। लेकिन जब सुबह राउरकेला से ट्रेन खुली, ताे उसे चक्रधरपुर लाइन की ओर हरी झंडी दे दी गई। गलत लाइन पर ट्रेन जब गोइलकेरा स्टेशन पहुंची, तो वहां उतर कर यात्रियों ने हंगामा किया। इसके बाद चक्रधरपुर रेल डिवीजन काे पता चला कि यह ट्रेन गलत दिशा में आ गई है। आनन-फानन में इंजन की दिशा बदल कर लगाया गया और फिर ट्रेन को वापस राउरकेला लाया गया, जहां से हटिया के लिए रवाना की गई। ट्रेन दाेपहर 2:15 बजे हटिया स्टेशन पहुंची। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन में यात्रियों काे खाने-पीने के लिए कुछ नहीं दिया गया। सभी यात्रियों की भूख-प्यास से हालत खराब हाे गई। रेलवे ने भी सफाई दी है. ट्रेन लेट होने पर रेलवे अधिकारियों का कहना है , कई सारी ट्रेन अनियमित तरीके से चल रही है, क्योंकि ट्रैक खाली नहीं है. कहीं तो कुछ ट्रेन शॉर्ट नोटिस पर चलाया गया है. इसके कारण ट्रेनें लेट हो रही है. हमलोग कोशिश कर रहे है कि हमारे डिवीजन में ट्रेनें लेट न हो. बेबसी का ये सफर का अंत न जाने कब होगा?

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