देश- देश में इस साल भीषण गर्मी पड़ रही है. इस कारण अप्रैल में ही बिजली की मांग बहुत बढ़ गई है. बिजली की मांग बढ़ने से कोयले की खपत भी बढ़ गई है. कोयले की इस बढ़ी हुई जरूरत को पूरा करने के लिए रेलवे पर इसकी ढुलाई का दबाव बढ़ गया है. इस कारण रेलवे को पिछले कुछ हफ्तों से रोजाना 16 मेल/एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करना पड़ रहा है. कोयले लदी मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए रेलवे को ऐसा करना पड़ रहा है.
वहीं रेलवे ने कोयला ढुलाई के मद्देनजर 24 मई तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इनमें से 500 से अधिक ट्रेनें लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें हैं. रेलवे ने साथ ही कोयला लदी मालगाड़ियों की औसत संख्या भी बढ़ा दी है. अब रोजाना 400 से ज्यादा ऐसी ट्रेनों को चलाया जा रहा है. यह पिछले पांच साल में ऐसी ट्रेनों से सबसे अधिक संख्या है.
सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने कोयले की ढुलाई के लिए रोजाना 415 मालगाड़ियां मुहैया कराने का वादा किया है ताकि कोयले की मांग को पूरा किया जा सके. इनमें से हर मालगाड़ी करीब 3,500 टन कोयला ढोने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि पावर प्लांट्स में कोयले का भंडार बढ़ाने के लिए कम से कम और दो महीने तक यह व्यवस्था जारी रहेगी. इससे पावर प्लांट्स के पास पर्याप्त कोयला भंडार रहेगा और जुलाई-अगस्त में संकट को टाला जा सकेगा. जुलाई-अगस्त में बारिश के कारण कोयले के खनन सबसे कम होता है.

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रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘कई राज्यों में पैसेंजर ट्रेनों के रद्द होने का विरोध हो रहा है. लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. अभी हमारी प्राथमिकता यह है कि सभी पावर प्लांट्स के पास कोयले का पर्याप्त भंडार हो ताकि देश में बिजली का संकट पैदा न हो. हमारे लिए यह धर्मसंकट की स्थिति है.
हमें उम्मीद है कि हम इस स्थिति से बाहर निकल जाएंगे. अधिकारी ने कहा कि पावर प्लांट्स देशभर में फैले हैं, इसलिए रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनें चलानी पड़ रही है. बड़ी संख्या में कोयले से लदी मालगाड़ियां 3-4 दिन के लिए ट्रांजिट पर हैं. ईस्टर्न सेक्टर से बड़ी मात्रा में घरेलू कोयले को देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जा रहा है.’
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