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Jharkhand: जानिए, एक ऐसे गरीब और शिक्षित बेरोजगार की कहानी जिसने नौकरी के लिए एचआरडी मंत्रालय को पत्र के साथ भेजा एक लाख का चेक, मिली छह महीने की जेल

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रांची- झारखंड के एक शिक्षित व्यक्ति ने तंगहाली में ऐसा कदम उठाया, जिसने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। नौकरी पाने के लिए उसने रिश्वत की पेशकश की जिसके कारण वह जेल पहुंच गया। इस व्यक्ति ने झारखंड विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार/डिप्टी रजिस्ट्रार की नौकरी पाने के लिए पहले एक लाख रुपये की रकम की व्यवस्था की और फिर उस रकम का चेक और नौकरी के आग्रह के लिए एक पत्र स्पीड पोस्ट से मानव संसधान विकास मंत्रालय को भेज दिया।

मंत्रालय की तरफ से इसकी शिकायत पुलिस को की गई। 11 साल पुराने इस मामले में अदालत ने दोषी को रिश्वत की पेशकश करने पर छह महीने जेल की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना किया है। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश किरण बंसल के समक्ष यह मामला आया। दरअसल, इस व्यक्ति की आर्थिक तंगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 11 साल बाद यह आरोपी 6 जनवरी को पुलिस की गिरफ्त में आया।

13 जनवरी को इस आरोपी को अदालत से जमानत भी मिल गई। लेकिन, एक बार फिर जमानत राशि को कम कराने के लिए याचिका दायर की गई। अदालत ने 11 फरवरी को जमानती मुचलके की रकम को 25 हजार रुपये घटा दिया। बावजूद इसके आरोपी की तरफ से मुचलका नही भरा जा सका और वह जेल में ही रहा। अदालत ने सुनवाई को गति देने के लिए 15 फरवरी को आरोप तय करने के लिए आरोपी को पेश करने के निर्देश दिए।

आरोपी ने अदालत में पेश होते ही अपना जुर्म कबूल लिया। उसका कहना था कि शिक्षित होने के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। इसलिए उसने यह कदम उठाया था। अदालत ने आरोपी के कबूलनामे को स्वीकार करते हुए उसे भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 12 के तहत दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा है कि रिश्वत लेने वाला ही नहीं देने वाला भी भ्रष्टाचार फैलाने के अपराध का जिम्मेदार होता है।

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इस मामले में सजा पर जिरह के दौरान दोषी का कहना था कि उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह इस मुकदमे की सुनवाई के लिए झारखंड से दिल्ली आने का किराया भर पाए। वह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। यही वजह रही है कि गिरफ्तारी के बाद वह जमानत का मुचलका भी नहीं भर पाया और 6 जनवरी से अब तक (15 फरवरी तक) जेल में है। जबकि, उसे गिरफ्तारी से सात दिन बाद ही जमानत मिल गई थी। अदालत ने दोषी की दलील सुनने के बाद उसकी सजा में नरमी बरती है।

इस मामले में आरोपी की हैंडराइटिंग का नमूना लिया गया था। इसका मिलान चेक पर एक लाख रुपये की रकम व अन्य जानकारी की लिखावट व नौकरी पाने के लिए भेजे गए आग्रह पत्र से किया गया। सीएफएसएल जांच में आरोपी की लिखावट का मिलान चेक व पत्र दोनों की लिखावट हो गया। वहीं, अन्य गवाहों और साक्ष्यों से भी आरोपी का प्रथमदृष्टया दोष साबित हो गया था।

क्या था मामला

भारत सरकार के मानव संसाधान विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने 26 अगस्त 2011 को दिल्ली पुलिस आयुक्त को शिकायत दी कि मानव संसधन विकास मंत्रालय के मंत्री कपिल सिब्बल के नाम एक लिफाफा स्पीड पोस्ट से मिला है, जिसमें एक लाख रुपये का चेक व एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र में झारखंड विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार/डिप्टी रजिस्ट्रार की नौकरी देने का आग्रह किया गया है। इस मामले की जांच संसद मार्ग थाना पुलिस को सौंपी गई थी।

 

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