रेलवे ने दूध ले जाने के लिए 12 प्रतिशत अधिक क्षमता वाले एक रेल दूध टैंक का विकास किया है. रेलमंत्री पियूष गोयल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह वन प्रति घंटा 110 किलोमीटर तक की गति से आगे बढ़ सकता है. रेलमंत्री ने कहा इस टैंक के अंदर विशेष स्टेनलेस स्टील लगाए गए हैं, जो दूध को तो सुरक्षित रखेंगे ही इससे परिवहन को भी सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा की इसकी क्षमता 44 ,660 लीटर दूध की है जो पहले की वैन से 12 प्रतिशत अधिक है. यह टैंक लखनऊ स्थित अबुसंधान और मानक संगठन ने विकसित किया है. मेल और एक्सप्रेस यात्री ट्रेनों के साथ संलग्न होने के बाद यह वैन प्रति घंटा 110 किलोमीटर तक की गति से आगे बढ़ सकता है. रेलमंत्री ने कहा यह उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं से उपभोक्ता तक आसानी से और जल्दी पहुँच सकता है. रेल मंत्री पियूष गोयल ने कहा की यह वैन के जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. बता दे कि दूध के टैंक में विशेष स्टेनलेस स्टील लगाए गए हैं जिनमे डबल बैरल शेल होते हैं जिसमे puf इन्सुलेशन होता है. जिसका उपयोग दूध को ठंडा रखने के लिए किया जाता है. रेल मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में यह तेन वरदान साबित होगा क्योंकि यह दूध सुरक्षित, आर्थिक और त्वरित परिवहन में मदद करेगा। इसे मैसर्स राइट्स के सहयोग से विकसित किया गया है और यह एक स्वदेशी डिज़ाइन है. इसका निर्माण स्थानीय उद्योग की मदद से किया गया है.दरअसल वैन के माध्यम से दूध को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर किया जाता है. वैसे राज्य जहां दूध की कमी रहती है ट्रैन के जरिये वहां आपूर्ति की जाती है.चूँकि दूध जल्दी ख़राब होने वाला प्रोडक्ट है इसलिए इस वैन को स्पेशल डिजाइन किया जाता है और यात्री ट्रैन से भेजा जाता है.
Comments are closed.