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भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम को लिखा पत्र, तकनीकी एवं वोकेशनल कोर्स में गरीबों को राहत देने की उठायी मांग

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पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन से कहा है कि झारखंड में पाॅलिटेक्निक, आईटीआई, नर्सिंग, पैरामेडिकल सहित अन्य तकनीकी एवं वोकेशनल शिक्षा की जो वर्तमान व्यवस्था है गरीब छात्रों के लिए व्यवहारिक नहीं है उन्होंने कहा कि फीस जमा करने में असमर्थता के कारण गरीब परिवारों के बच्चों का दाखिला इन कॉलेजों में नहीं हो पाता लिहाज़ा संस्थानों में अक्सर सीटें खाली रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि फीस की रकम गरीबो के पहुँच से बाहर होता है जिस कारण कई छात्रों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ जाती है. अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए बाबूलाल ने कहा कि पाॅलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के कुछ संस्थान में यह प्रावधान किया था कि गरीब बच्चों की फीस (सेमेस्टर) का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। साथ ही छात्रवृति का भी प्रावधान किया था। प्रारंभिक कुछ वर्षो तक इसका लाभ गरीब परिवारों के बच्चों को मिला भी। लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर दिया गया. कि इस दिशा में सरकार को ठोस कदम उठाते हुए निर्णय लेने की आवश्यकता है. फीस की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो सबके पहुँच में हो. ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ लोगों को मिल सके और राज्य हित में जरुरी भी है.सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में बच्चियों एवं बीपीएलधारी छात्रों को सरकारी सहायता मुहैया कराना चाहती है तो क्यों नहीं उनकी पूरी फीस राज्य सरकार द्वारा संबंधित संस्थान को ही भुगतान कर दिया जाए। ऐसा करने से गरीब परिवारों को कोई तनाव भी नहीं रहेगा और छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकेंगे। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस विषय पर गंभीरता पूर्वक सोचने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि वर्तमान में जो प्रावधान है उसके अनुसार संस्थानों में पहले छात्रों से दाखिला शुल्क जमा करा लिए जाते हैं। बाद में उन्हें छात्रवृति के नाम पर कुछ राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है,

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