डेस्क- आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. नवदुर्गा के छठे स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था. इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और कमल का पुष्प है. इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.
गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी. विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक मानी जाती है. योग्य या मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है. ज्योतिष में इनका संबंध बृहस्पति से माना जाना चाहिए. तंत्र साधना में देवी का संबंध आज्ञा चक्र से होता है.
देवी भगवती का महात्म्य दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है जो अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष, चारों पुरूषार्थों को प्रदान करता है। भक्तों के अन्तर्मन में स्थित होकर देवी कहती हैं कि ‘नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी के रूप में मैं विवाह योग्य कन्याओं को उत्तम वर एवं शेष भक्तों को विजय प्रदान करती हूं।’
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