रांची- नवरात्रि के आठवें दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा धूमधाम से हुई. पूजा पंडालों एवं मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी. श्रद्धालुओं ने मां को प्रसाद चढ़ाया और आरती में भाग लिया. पूजा पंडालों एवं मंदिरों में पुरोहितों द्वारा महागौरी की पूजा कराई गई. शहरी सहित ग्रामीण इलाकों में भी श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. भक्ति गीतों से पूरा इलाका गुंजायमान है.
मान्यता है कि महा अष्टमी में सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माता महागौरी को ममता की मूरत कहा जाता है. राहु ग्रह पर मां महागौरी का आधिपत्य रहता है. इसलिए इनकी पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं. शादी-विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए भी मां महागौरी की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है. साथ ही पारिवारिक कलह कलेश भी खत्म हो जाता है. मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा उपासना करने से संतान संबंधी समस्या भी दूर होती है. इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और भक्तों के सभी पापों का भी नाश होता है.
पौराणिक कथा के मुताबिक, पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने महादेव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस दौरान माता हजारों वर्षों तक निराहार रहीं. तप के प्रभाव से माता का शरीर काला पड़ गया. जब महादेव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से कांतिमय बना दिया. इसके बाद माता का रंग एकदम साफ हो गया. तब से माता को महागौरी के रूप में भी जाना जाने लगा.
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