झारखण्ड- संथाल परगना के जिलों में अवैध घुसपैठ के कारण डेमोग्राफी बदलने की बात लंबे समय से कही जा रही है. यह मामला झारखंड में बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन चुका है, साथ ही इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुका है.
झारखंड हाईकोर्ट ने अवैध घुसपैठ का पता लगाने के लिए राज्य सरकार को फैट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया था. इस आदेश को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा. न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार का जवाब आने तक राज्य सरकार को कमेटी का सदस्य नियुक्त नहीं करने की छूट दी.
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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि अवैध घुसपैठ को लेकर संथाल परगना के 6 जिलों गोड्डा, देवघर, पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा और दुमका के जिलाधिकारियों की रिपोर्ट में साफ तौर पर इसे नकारा गया है.
सिर्फ साहिबगंज में अवैध घुसपैठ के दाे मामले सामने आए है, जिससे राज्य सरकार अपने स्तर पर निपट रही है. हाईकोर्ट में जिलाधिकारियों की रिपोर्ट को दरकिनार कर राज्य और केंद्र की संयुक्त फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन का आदेश दिया. जबकि जिलाधिकारियों की रिपोर्ट से साफ जाहिर होता है कि संथाल परगना में अवैध घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलने का मामला मनगढ़ंत है.
बता दें झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर संथाल परगना में अवैध घुसपैठ पर रोक लगाने की मांग की गयी थी. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले का पता लगाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों की संयुक्त फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश दिया था.
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